हवलदारों ने मज़हबी जुलूस को
इठलाती बुलेटप्रूफ तोंदो के बीच घेर लिया
मैंने पुछा तो थानेदार बोला
अगले नुक्कड़ से बायें
कबूतरबाज़ों का है एक मोहल्ला
जो अपने इमां-ओ-इल्म के
पत्थर उड़ाते है
वो क़दीम किताबो का
तर्ज़ुमा तब्दील कर शमशीरों में
दैर-ओ-हरम तोड़ आते है।
ज़मी कुछ खिसकी
में लड़खड़ाया
तभी एक मासूम सा बच्चा
बड़े ज़ोर से चिल्लाया
देखो देखो बाज़ीगर आया है!
खादी पहने बन्दर के साथ
रेशमी शेरवानी वाला
भालू भी साथ लाया है।
मैं जुलुस से निकल
उस चबूतरे की जानिब बड़ा
वो बाज़ीगर जहाँ
माइक हाथ में लिए था खड़ा
एक बुज़ुर्ग तमाशबीन ने
चश्मा चढ़ाया और गौर फ़रमाया
फिर फहश बड़बड़ाया
लाहौल बिला कूबत
इल्ला बिल्लाह
ये तो कबूतरबाज़ निकला
कल मोहल्ले के दंगाइयों को
तमंचे बेच रहा था जो
आज भेस बदल
महंगे ख्वाब दिखाने आया है वो
बाज़ीगर ने हवलदारों को
इशारे से पास बुलाया
और सियासती किमाम वाला
बनारसी पान खिलाया
जुलूस को भूल वो अब
जम्हूरियत के जनाज़े
पे पान थूंक रहे हैं
और जुलुस वाले आगे बड़े
अब मोहल्ला फूंक रहे है।